प्रश्न.१ – शौच धर्म का क्या स्वरूप है ?
उत्तर – उत्कृष्टता को प्राप्त ऐसे लोभ का अभाव करना शौच धर्म है अथवा शुद्धि-पवित्रता का भाव शौच धर्म है।
प्रश्न.२ – शुद्धि के मुख्य रूप से कितने भेद हैं ?
उत्तर – दो भेद हैं – बाह्यशुद्धि और अभ्यन्तरशुद्धि ।
प्रश्न.३ – बाह्य शुद्धि से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – जल आदि से स्नाान करके शरीर आदि को शुद्ध करना बाह्यशुद्धि है।
प्रश्न.४ – अभ्यन्तर शुद्धि किसे कहते हैं ?
उत्तर – लोभ कषाय आदि का त्याग करने से अभ्यन्तर शुद्धि होती है।
प्रश्न.५ – संसार में किन-किनको सर्वाधिक पवित्र माना है ?
उत्तर – भूमि से निकला हुआ जल, पतिव्रता स्त्री, धर्म में तत्पर राजा और ब्रह्मचारीगण सदा शुद्ध माने जाते हैं।