भक्तामर रचना की प्रस्तावना पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न १. भक्तामर स्तोत्र का दूसरा नाम बताइये ? उत्तर—आदिनाथ स्तोत्र है। प्रश्न २. राजा भोज की सभा में कौन, किसके साथ गये ? उत्तर—नगर सेठ अपने पुत्र के साथ गये। प्रश्न ३. सेठ के पुत्र ने कौन से ग्रंथ के श्लोक सुनाये ? उत्तर—नाममाला ग्रंथ के। प्रश्न ४. इस नाममाल ग्रंथ के…

जैनधर्म कर्मसिद्धान्त पर आधारित है

जैन सिद्धान्त के अनुसार समय की परिभाषा अत्यन्त सूक्ष्म बताई है। एक आवली मात्र में असंख्यात समय माने हैं। प्रत्येक जीवात्मा में प्रतिसमय कर्म के परमाणु आते रहते हैं। गोम्मटसार कर्मकांड में आचार्यश्री नेमिचन्द्र सिद्धांतचक्रवर्ती ने कहा है- सिद्धाणंतिम भागं अभव्वसिद्धादणंत गुणमेव। समयपबद्धं बंधदि जोगवसादो दु विसरित्थं।।  अर्थात् यह आत्मा…

सम्यग्दर्शन का महिमा

सम्यग्दर्शन का महिमा— सम्यग्दर्शन की महिमा बतलाते हुए समन्तभद्रस्वामी ने कहा है— ‘ज्ञान और चारित्र की अपेक्षा सम्यग्दर्शन श्रेष्ठता को प्राप्त होता है इसलिये मोक्षमार्ग में उसे कर्णधार—खेवटिया कहते हैं। जिस प्रकार बीज के अभाव में वृक्ष की उत्पत्ति, स्थिति, वृद्धि और फल की प्राप्ति नहीं होती उसी प्रकार सम्यग्दर्शन…