राजा गुरुदत्त हस्तिनापुर का स्वामी था जो न्यायपूर्वक प्रजा का पालन करता था। एक दिन प्रजा से यह सुनकर कि एक व्याघ्र प्रतिदिन नगर में आता है और जीवों का विध्वंस कर बड़ा दुख देता है, राजा गुरुदत्त को बड़ा क्रोध आया। वह शीघ्र सेना लेकर द्रोणीमान पर्वत पर, जहाँ…
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Prathamanuyog — प्रथमानुयोग सार
प्रथमानुयोग सार (Prathamanuyog) १. गजकुमार मुनि के सिर पर जलती हुई सिगड़ी रखी गई थी। २. पाँचों पांडव मुनियों को लोहे के गर्म आभूषण पहनाये गये थे। ३. विष्णु कुमार मुनि ने सात सौ मुनियों का उपसर्ग दूर किया था। ४. समन्तभद्र आचार्य को भस्मक व्याधि का रोग हुआ था।…
Bhagwan Mahaveer Jeevan Parichay Episode – 10
एक बार महामुनि महावीर उज्जयिनी नगरी के श्मशान घाट (अतिमुक्तक वन) में ध्यान लीन थे। तभी एक रुद्र वहाँ आया और उन पर भयंकर उपसर्ग करने लगा परन्तु धीर-वीर महामुनि अपने ध्यान से किंचित् भी विचलित नहीं हुए। उनके इस साहस और धैर्य को देखकर रुद्र अत्यन्त प्रभावित हुआ और…
Bhagwan Mahaveer Jeevan Parichay Episode – 9
दीक्षा के बाद विहार करते हुए एक बार भगवान (Bhagwan Mahaveer) कौशाम्बी नगरी में पधारे जहाँ महारानी त्रिशला (महावीर की माता) की सबसे छोटी बहन महासती चन्दना को एक सेठानी सुभद्रा ने सिर मुंडवा कर बेड़ियों में जकड़कर रखा था। महामुनि को आया देख चन्दना के मन में उन्हें आहार…
Bhagwan Mahaveer Jeevan Parichay Episode – 8
दीक्षा के दो दिन के पश्चात् भगवान Bhagwan Mahaveer प्रथम पारणा के लिए निकले। कूल ग्राम के राजा कूल (अपरनाम वकुल) के यहाँ उनका प्रथम पड़गाहन हुआ। महामुनि को अत्यन्त प्रफुल्लित भाव से राजा एवं रानी ने खीर का आहार प्रदान किया। देवताओं ने महामुनि महावीर के इस प्रथम आहार पर…
Bhagwan Mahaveer Jeevan Parichay Episode – 7
३० वर्ष की अवस्था में भगवान (Bhagwan Mahaveer) ने मगशिर कृष्णा दशमी को कुण्डलपुर के निकट मनोहरवन में सालवृक्ष के नीचे पंचमुष्टि केशलोंच करके जैनेश्वरी दीक्षा धारण कर ली। देवों ने आकर भगवान का दीक्षाकल्याणक महोत्सव मनाया। दो दिन का योग धारण करके महामुनि महावीर अविचल खड़े हो गये। इन्द्र…
Bhagwan Mahaveer Jeevan Parichay Episode – 6
धीरे-धीरे महावीर Bhagwan Mahaveer बड़े होने लगे। उनके लिए सदैव स्वर्ग से ही भोजन, वस्त्र एवं आभूषण आदि आते थे। उन्होंने कभी भी अपने घर का भोजन नहीं किया क्योंकि सभी तीर्थंकरों के लिए यही नियम है कि वे स्वर्ग का दिव्य भोजन ही करते हैं। युवावस्था को प्राप्त करने पर…
Lord Bahubali Gommateshwara
LORD BAHUBALI VICTORY OVER THE VICTORIOUS King Nabhiraj, after meeting Lord ‘Vrishabh Deva’, happily and respectfully speaks to him thus- ‘O Lord, you are the chief commander of this world. Being ‘Yugadi Purush’ you are ‘Brahma’ (Eternal God). In your creation I am only a very small creature. Even then, I…