भक्तामर रचना की प्रस्तावना पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न १. भक्तामर स्तोत्र का दूसरा नाम बताइये ?
उत्तर—आदिनाथ स्तोत्र है।

प्रश्न २. राजा भोज की सभा में कौन, किसके साथ गये ?
उत्तर—नगर सेठ अपने पुत्र के साथ गये।

प्रश्न ३. सेठ के पुत्र ने कौन से ग्रंथ के श्लोक सुनाये ?
उत्तर—नाममाला ग्रंथ के।

प्रश्न ४. इस नाममाल ग्रंथ के रचियता कौन थे ?
उत्तर—कवि धनंजय।

प्रश्न ५. राजा भोज के मंत्री का नाम क्या था ?
उत्तर—कवि कालिदास।

प्रश्न ६. कालिदास का धनंजय कवि एवं जैनधर्म के प्रति कैसा श्रद्धान था ?
उत्तर—धनंजय के प्रति विशेष द्वेष एवं जैनधर्म से प्राकृतिक/स्वभाव से द्वेष था।

प्रश्न ७. राजदरबार में कवि धनंजय को कहाँ स्थान दिया ?
उत्तर—राजा भोज के निकट।

प्रश्न ८. राजा भोज ने नाममाला ग्रंथ के बारे में कवि धनजंय से क्या कहा ?
उत्तर—ये छोटा ग्रंथ आपको शोभा नहीं देता, कोई बड़ा ग्रंथ लिखिये।

प्रश्न ९. कालिदास ने क्या कहा ? एवं उनको कैसा लगा ?
उत्तर—कवि धनंजय की प्रशंसा से ईर्ष्याग्नि धधकने लगी, खिसयाकर झूठ बोला कि ये पुस्तक ब्राह्मण विद्वान के द्वारा लिखी गयी है।

प्रश्न १०. ग्रंथ / पुस्तक का दूसरा नाम क्या बताया ?
उत्तर—नाममंजरी।

प्रश्न ११. कालिदास ने किससे शास्त्रार्थ करने को कहा ?
उत्तर—आचार्य मानतुंग स्वामी से।

प्रश्न १२. कवि धनंजय ने फिर क्या कहा ?
उत्तर—गुरूदेव मानतुंग के विषय में अनादर के वचन सहन नहीं हुये, अत्यन्त आवेश में बोले ऐसा कौन सा विद्वान है इस सभा में जो स्वामी मानतुंग के चरणों से विवाद कर सके। पहले मुझसे शास्त्रार्थ कर लो, पीछे गुरुवर का नाम लेना।

प्रश्न १३. शास्त्रार्थ में कौन जीता ?
उत्तर—धनंजय कवि जीते।

प्रश्न १४. तो क्या कालिदास ने हार स्वीकार कर ली ?
उत्तर—नहीं—नहीं जब हारने लगे तो कहने लगे मैं शास्त्रार्थ इससे नहीं, इसके गुरू से करूंगा।

प्रश्न १५. राजा भोज ने क्या मुनिराज को बुलवाया या स्वयं उनके पास गये ?
उत्तर—नहीं, वो उनके पास खुद नहीं गये वरन् उन्हें दरबार में बुलाने हेतु अपने दूत भेजे।

प्रश्न १६. क्या मुनिराज राजसभा में आ गये ?
उत्तर—नहीं, मुनियों को राजदरबार से क्या प्रयोजन, मैं वहां नहीं जाऊंगा, ये कह दिया।

प्रश्न १७. राजा के अनुचार मुनिराज के पास कितनी कर गये ?
उत्तर—तीन बार।

प्रश्न १८. फिर उनको दरबार में कैसे लाया गया ?
उत्तर—राजाज्ञा से सेवक घसीटते हुए ले गये।

प्रश्न १९. मुनिवर ने कोई विरोध नहीं किया ?
उत्तर—अरे भाई ! दिगम्बर संत इसको उपसर्ग समझ मौन धारण कर लेते हैं।

प्रश्न २०. राजदरबार में मुनिराज को देखकर कालिदास ने क्या कहा ?
उत्तर—मुनिराज के मौन को देखकर कालिदास व अन्य ब्राह्मणों ने कहा—यह महामूर्ख है, राजसभा को देखकर भयभीत हो रहा है।

प्रश्न २१. राजा ने क्या आदेश दिया ?
उत्तर—हाथ—पैर में हथकड़ी—बेड़ियां डालकर कारागृह में ४८ कोठरियों के भीतर ४८ तालों में डालने का आदेश दिया।

प्रश्न २२. मुनिश्री ने इस बंधन को कैसे स्वीकार किया ?
उत्तर—समता एवं मौनपूर्वक स्वीकार किया।

प्रश्न २३. उस कारगृह में मुनिश्री ने क्या किया ?
उत्तर—आदि ब्राह्म भगवान ऋषभदेव की भक्ति में डूब गये।

प्रश्न २४. ऋषभदेव की भक्ति किस माध्यम से की ?
उत्तर—४८ काव्यों वाले भक्तामर स्तोत्र से की।

प्रश्न २५. इस स्तोत्र के रचयिता कौन हैं ?
उत्तर—आचार्य मानतुंग स्वामी।

प्रश्न २६. कहाँ पर रचना की ?
उत्तर—उसी जेल के अन्दर।

प्रश्न २७. फिर राजा ने उन्हें जेल से बाहर कब निकाला।
उत्तर—जिन भक्ति के प्रभाव से स्वयं (अपने आप) बाहर आ गये।

प्रश्न २८. अपने आप ताले कैसे खुल गये ?
उत्तर—४८ काव्यों की रचना के दौरान अपने आप ताले टूटते गये।

प्रश्न २९. कालिदास ने कौन सा स्तोत्र पढ़ा ?
उत्तर—कालिका स्तोत्र।

प्रश्न ३०. कालिका स्तोत्र पढ़ने से क्या हुआ ?
उत्तर—कालिका देवी प्रगट हुई।

प्रश्न ३१. कालिका देवी ने क्या किया ?
उत्तर—मानतुंगाचार्य पर उपसर्ग करने की ठानी।

प्रश्न ३२. उपसर्ग कब किया ?
उत्तर—उपसर्ग नहीं किया वरन् सोचा ही था।

प्रश्न ३३. उपसर्ग क्यों नहीं किया ?
उत्तर—क्योंकि जिनशासन की चव्रेश्वरी देवी प्रगट हो गयी थी।

प्रश्न ३४. चव्रेश्वरी देवी ने क्या किया था ?
उत्तर—कालिका देवी को फटकारा।

प्रश्न ३५. कालिका देवी ने क्या किया ?
उत्तर—देवी एवं मुनिराज से क्षमायाचना की और अदृश्य हो गई।

प्रश्न ३६. क्या ये सब राजा एवं मंत्री ने देखा या नहीं ?
उत्तर—हाँ ! राजा भोज एवं मंत्री कालिदास वहीं उपस्थित थे।

प्रश्न ३७. फिर उन्होंने क्या कहा ?
उत्तर—दोनों ने क्षमा याचना की और श्रावक के व्रत अंगीकार किये।

प्रश्न ३८. क्षमा याचना किससे की ?
उत्तर—मुनि मानतुंग स्वामी से।

प्रश्न ३९. काव्य में कुल कितनी पंक्ति एवं प्रत्येक पंक्ति में कितने अक्षर है ?
उत्तर—४ पंक्ति, प्रत्येक पंक्ति में १४ अक्षर है।

प्रश्न ४०. एक काव्य में कितने अक्षर है ?
उत्तर—५६ अक्षर।

प्रश्न ४१. क्या ४८ काव्यों में अक्षर की संख्या बता सकते हो ?
उत्तर—२६८८ अक्षर।

प्रश्न ४२. प्रत्येक काव्य पंक्ति में १४ अक्षर कैसे हैं ?
उत्तर—७ गुरू और ७ लघु है।