कुभोगभूमि में जन्म लेने के कारण

मिथ्यात्व में रत, मन्दकषायी, मिथ्यादेवों की भक्ति में तत्पर, विषम पंचाग्नि तप करने वाले, सम्यक्त्व रत्न से रहित जीव मरकर कुमानुष होते हैं। जो लोग तीव्र अभिमान से गर्वित होकर सम्यक्त्व और तप से युक्त साधुओं का किंचित् अपमान करते हैं, जो दिगम्बर साधु की िंनदा करते हैं, ऋद्धि-रस आदि…

lavan samudra

लवण समुद्र–Lavan Samudra

लवण समुद्र जम्बूद्वीप को घेरे हुए २ लाख योजन व्यासवाला लवणसमुद्र है। उसका पानी अनाज के ढेर के समान शिखाऊ ऊँचा उठा हुआ है। बीच में गहराई १००० योजन की है। समतल से जल की ऊँचाई अमावस्या के दिन ११००० योजन की रहती है। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से बढ़ते-बढ़ते…