जैनधर्म प्रश्नोत्तरमाला-8

प्रश्न  -भगवान ऋषभदेव का जन्म किस तिथि में कहाँ हुआ था ?
उत्तर -चैत्र कृष्णा नवमी तिथि को अयोध्या नगरी में ऋषभदेव का जन्म हुआ था।

प्रश्न  -भगवान ऋषभदेव के माता-पिता का क्या नाम था ?
उत्तर -मरुदेवी माता थीं और नाभिराय पिता थे।

प्रश्न  -भगवान ऋषभदेव के कितने पुत्र-पुत्रियाँ थीं ?
उत्तर -१०१ पुत्र और २ पुत्रियाँ थीं।

प्रश्न  -उनके किस पुत्र ने सर्वप्रथम मोक्ष प्राप्त किया था ?
उत्तर -अनन्तवीर्य ने।

प्रश्न  -भगवान ऋषभदेव के प्रथम गणधर कौन थे ?
उत्तर -उनके पुत्र वृषभसेन ही उनके प्रथम गणधर थे।

प्रश्न  -भगवान ऋषभदेव ने कितने वर्ष तपस्या की थी ?
उत्तर -एक हजार वर्ष तक।

प्रश्न  -उनकी पुत्री ब्राह्मी-सुन्दरी ने आर्यिका दीक्षा क्यों ली थी ?
उत्तर -अगले भव में स्त्री पर्याय को समाप्त करने हेतु तथा परम्परा से मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा से तीव्र वैराग्य भाव धारण कर उन कन्याओं ने आर्यिका दीक्षा ग्रहण की थी। आगम में कहीं ऐसा वर्णन नहीं आता है कि उनके पिता को उनके सास-ससुर के समक्ष सिर झुकाना पड़ता, इसलिए उन कन्याओं ने दीक्षा ले ली थी। तीर्थंकर तो जन्म से लेकर दीक्षा ग्रहण करने तक कभी भी सिद्धों के अतिरिक्त किसी मुनि को, माता-पिता आदि को भी नमस्कार नहीं करते हैं।

प्रश्  -भगवान ऋषभदेव को प्रथम आहार कितने दिन के उपवास के बाद प्राप्त हुआ था ?
उत्तर -एक वर्ष ३९ दिनों के उपवास के पश्चात्।

प्रश्न  -कहाँ और किसने उन्हें प्रथम बार आहार में क्या दिया था ?
उत्तर -हस्तिनापुरी में राजा श्रेयांस ने उन्हें प्रथम बार इक्षुरस का आहार दिया था।

प्रश्न  -भगवान ऋषभदेव के समवसरण में कितने गणधर थे ?
उत्तर -चौरासी गणधर थे।

प्रश्न  -उनके प्रमुख गणधर कौन थे ?
उत्तर -‘‘वृषभसेन’’ नाम के उनके पुत्र ने समवसरण में प्रथम दीक्षा लेकर प्रमुख गणधर का पद प्राप्त किया था।

प्रश्न  -ऋषभदेव के समवसरण में प्रमुख श्रोता कौन थे ?
उत्तर -ऋषभदेव के बड़े पुत्र सम्राट् भरत ही उनके समवसरण में प्रमुख श्रोता थे।

प्रश्न  -ऋषभदेव के समवसरण की प्रमुख गणिनी आर्यिका माताजी का क्या नाम था ?
उत्तर -गणिनी आर्यिका ब्राह्मी माताजी, जो कि ऋषभदेव की ही पुत्री थीं।

प्रश्न  -क्या हुण्डावसर्पिणीकाल के दोषवश तीर्थंकर ऋषभदेव के ब्राह्मी-सुन्दरी पुत्रियाँ हुई थीं ?
उत्तर -नहीं,ऐसा कहीं दिगम्बर जैन आगम में कथन नहीं आता है । वैसे कन्या एक रत्न मानी गई है इसलिए तीर्थंकर की पत्नी को उन्हें जन्म देने में कोई विरोध नहीं है ।

प्रश्न  -भगवान ऋषभदेव को कितने वर्ष की तपस्या के बाद केवलज्ञान प्राप्त हुआ था ?
उत्तर -एक हजार वर्ष तक तपस्या करने के बाद भगवान ऋषभदेव को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था।

प्रश्न  -भगवान ऋषभदेव को केवलज्ञान किस तिथि में कहाँ हुआ था ?
उत्तर -फाल्गुन कृष्णा एकादशी तिथि को ‘‘पुरिमतालपुर’’ नगर के उध्यान में भगवान् ऋषभदेव को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था।

प्रश्न  -भगवान ऋषभदेव के शरीर का वर्ण कैसा था ?
उत्तर -स्वर्ण वर्ण का था।

प्रश्न  -उनके शरीर की अवगाहना कितनी थी ?
उत्तर -५०० धनुष अर्थात् दो हजार हाथ।

प्रश्न  -भगवान ऋषभदेव को निर्वाणपद की प्राप्ति किस तिथि में कहाँ से हुई थी ?
उत्तर -माघ कृष्णा चतुर्दशी को वैलाश पर्वत से भगवान ऋषभदेव को निर्वाणपद की प्राप्ति हुई थी।

प्रश्न  -भगवान की दिव्यध्वनि कितनी भाषाओं में खिरती थी ?
उत्तर -सात सौ अठारह भाषाओं में।

प्रश्न  -इस युग के प्रथम मोक्षगामी कौन हुए हैं ?
उत्तर -भगवान ऋषभदेव के पुत्र अनन्तवीर्य।

प्रश्न  -भगवान ऋषभदेव के कितने पुत्रों ने उसी भव से दीक्षा लेकर मोक्षपद प्राप्त किया था ?
उत्तर -उनके समस्त (१०१) पुत्रों ने दीक्षा लेकर उसी भव से मोक्ष प्राप्त किया था।

प्रश्न  -अयोध्या में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया है ? 
उत्तर -भगवान ऋषभदेव, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ इन पाँच तीर्थंकरों ने अयोध्या में जन्म लिया है ।